ग्वालियर।अटल बिहारी वाजपेयी - भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान, ग्वालियर में गणतन्त्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया एवं संस्थान के छात्र और छात्राओं के द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। संगीत, नृत्य, कला, स्रजनात्मकता एवं अभिव्यक्ति का एक अनूठा और अद्भुत समागम इस अवसर पर संस्थान के होनहार छात्र और छात्राओं के द्वारा प्रदर्शित किया गया । संस्थान के संकाय एवं असंकाय सदस्यों एवं छात्रों की इस कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भागीदारी रही । इस अवसर पर संस्थान परिसर में सभी 26 जनवरी 2025 को गणतन्त्र दिवस के रंग में डूबे नज़र आए । सभी ने अत्यधिक खुशी और उत्साह के साथ एकजुट होकर इस महत्वपूर्ण पर्व को देशभक्ति के साथ मनाया। संस्थान के सभी सदस्यों द्वारा वीर शहीदों को के बलिदान को याद कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई।
संस्थान के निदेशक प्रो. श्री निवास सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर जयदीप धर डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स के द्वारा किया गया तथा इस कार्यक्रम का सह संचालन डॉ. वीनल पटेल के द्वारा किया गया। प्रोफेसर श्रीनिवास सिंह के द्वारा प्रातः 9:00 बजे संस्थान के प्रशासनिक भवन के प्रांगण में ध्वजारोहण किया गया । ध्वजारोहण से पूर्व 8:55 बजे संस्थान के निदेशक प्रोफेसर श्रीनिवास सिंह, कुलसचिव के के तिवारी, डीन संकाय कार्य प्रो. के के पटनायक, डीन छात्र कार्य प्रो. जयदीप धर, डीन पूर्व छात्र एवं बाहरी / विदेश संबंध प्रो. अनुराग श्रीवास्तव, डीन अनुसंधान और परामर्श प्रो. राजेंद्र साहू, डीन शैक्षणिक कार्य प्रो. पंकज श्रीवास्तव के द्वारा प्रशासनिक भवन के समीप वृक्षारोपण किया गया ।
हमारे राष्ट्र की नींव गणतन्त्र दिवस समारोह कार्यक्रम की शुरुआत प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा आयोजित एक शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुई जिसमें न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों से सराबोर प्रस्तुतियाँ दीं गयीं। कला, लय और अभिव्यक्ति का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला। भारतीय विरासत की समृद्धि को याद रखते हुए जो प्राचीन वैदिक परंपराओं और कहानियों में गहराई से निहित है एवं जो हमारी संस्कृति को परिभाषित करती हैं। इस विरासत का सम्मान करने के लिए, एक शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया जो बुराई के अवतार महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत की महाकाव्य कहानी को चित्रित करता है तथा इस पौराणिक कहानी को मंच पर जीवंत प्रस्तुत किया गया । यह नृत्य लालित्य और अनुग्रह से भरा हुआ था, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इतने यादगार और प्रेरणादायक प्रस्तुति पर सभी ने प्रस्तुतकर्ताओं को धन्यवाद दिया। इसके पश्चात छात्र कुलदीप पंडित ने अपने हिंदी भाषण तथा 2023 आईएमटी बैच की कैरवी ने अपने अँग्रेजी भाषण के द्वारा देश के युवाओं के लिए एक विशेष प्रेरणादायक संदेश दिया साझा किया । उन्होने बताया कि आज आपके समक्ष खड़े होकर हमारे महान राष्ट्र के 76वें गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाने के इस अवसर पर बोलना एक गर्व की बात है। इस ऐतिहासिक दिन पर हम अपने संविधान को अंगीकार करने का स्मरण करते हैं, जो न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों का प्रेरणादायक जीवंत प्रमाण है और जो हमारी लोकतंत्र की नींव है। इस देश के युवा होने के नाते हम न केवल अपने पूर्वजों के सपनों के उत्तराधिकारी हैं, बल्कि भविष्य को आकार देने की विशाल जिम्मेदारी भी हमारे कंधों पर है। भारत विविधताओं से भरा एक ऐसा देश है, जो धर्मों और एकता के धागों से बुना हुआ है। आज हमारा राष्ट्र संभावनाओं की एक मशाल के रूप में खड़ा है, लेकिन हमें उन कार्यों की भी याद रखना होगा जो अभी पूरे किए जाने बाकी हैं। महत्वाकांक्षा और अवसर के बीच की खाई को पाटने से लेकर हर नागरिक की समावेशी प्रगति सुनिश्चित करने तक, हमें—शिक्षा और नवाचार से प्रेरित युवा मनों को—इस अवसर पर खरा उतरना होगा। जैसे कि हम अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाते हैं, आइए हम अपने संविधान में निहित मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प लें। बदलाव के मात्र दर्शक न बनें, बल्कि अपने राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय भागीदार बनें। आइए, ऐसा देश बनाने का प्रयास करें जहां सपनों की कोई सीमा न हो, जहां समानता केवल एक विचार न हो, बल्कि एक सच्चाई बने, और जहां भारत का तिरंगा हर गुजरते दिन के साथ ऊंचाई पर लहराए।
तत्पश्चात आयुष सक्सेना द्वारा भावपूर्ण एकल देशभक्ति गीत “देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए, मैं रहूँ या न रहूँ, भारत ये रहना चाहिए ” सुनाया गया जिसने देशभक्ति के सार को खूबसूरती से दर्शाया। । कुछ आधुनिक वेस्टर्न बीटहॉपर्स ने नृत्य प्रस्तुत कर सभी को ऊर्जा से भर दिया। बीटहॉपर्स के उत्कृष्ठ पश्चिमी नृत्य ने परंपरा और कलात्मकता का मिश्रण खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया। छात्र समद के द्वारा एक जीवंत अभिव्यक्ति हिंदी कविता के पाठ के माध्यम से गर्मजोशी के साथ प्रस्तुत की गयी जिसका शीर्षक था “देश के वीर नौजवान” था जो शहीदों के प्रति सम्मान के लिए समर्पित थी । उनके द्वारा प्रस्तुत अत्यंत ही हार्दिक एवं मार्मिक कविता ने सचमुच सभी के दिलों को छू लिया। । ड्रामाटिक्स क्लब "मंचतंत्र" के द्वारा प्रस्तुत शक्तिशाली जीवंत नाटक, मंचतंत्र के प्रतिभाशाली छात्र एवं छात्राओं का प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहा जिसमें हमारे संविधान के महत्व और हमारे राष्ट्र पर उनके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। यह समाचार बहसों की गतिशील और आकर्षक दुनिया को रचनात्मक तरीके से जीवंत प्रस्तुत किया गया। उन्होने अपनी कला के माध्यम से एक शक्तिशाली संदेश पहुंचाया। इस प्रस्तुति ने देशभक्ति के सार को समाहित कर लिया और सभी को गर्व से भर दिया । उनकी अद्भुत प्रस्तुति पर सम्पूर्ण कक्ष तालियों कि गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।
छात्र छात्राओं के द्वारा समूह गायन, समूह नृत्य,मंचतंत्र के कलाकार छात्र छात्राओं के द्वारा नाट्य प्रस्तुति, कविता पठन इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे । संस्थान की सहायक प्रोफेसर डॉ. रोशनी चक्रवर्ती एवं सहायक कुलसचिव श्री विश्वम्भर जाखड़ के द्वारा गणतन्त्र दिवस पर समृद्ध प्रेरणादायी शब्दों ने सबका दिल जीत लिया। इस अवसर पर निदेशक प्रोफेसर श्री निवास सिंह ने छात्र और छात्राओं को उनके अद्भुत प्रदर्शन के लिए बधाई दी । भारत के गौरांवित इतिहास को याद कर उन्होने अपने प्रेरणादायी ज्ञानवर्धक अमूल्य अंतर्दृष्टि से सभी में एक नयी ऊर्जा का संचार किया । प्रो. सिंह ने कहा कि सबसे पहले मैं आपको हमारे देश के 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। इसमें कोई संदेह नहीं कि हमने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को स्वीकृत हुआ। उस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। हमारे परिसर में भी संविधान दिवस मनाया जाता है ताकि उसकी महत्ता और उस पर किए गए प्रयासों को समझा जा सके, और एक अद्वितीय विकसित भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ा जा सके। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमने अपना संविधान अपनाया था और इसे तैयार करने में कुल 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे। इस दौरान 166 बैठकों का आयोजन हुआ। हमारा संविधान 1,45,000 शब्दों का एक विशाल और गहन दस्तावेज है। समय के साथ इसमें कई सुधार और बदलाव किए गए ताकि यह देश के हितों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचा सके।आज हमने हमारे प्रिय छात्रों की प्रस्तुति देखी, जिसमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश छिपा था। लगभग सभी गीतों में हमने एकता और कर्तव्य की बात की। संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, और उन्हीं अधिकारों के आधार पर हम आगे बढ़ते हैं, लेकिन कर्तव्यों का पालन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
आजकल देशभर में एक नई बहस चल रही है कि इंडिया क्यों और भारत क्यों नहीं। इसका एक लंबा इतिहास है। इंडिया नाम ब्रिटिशों द्वारा दिया गया था, जबकि इससे पहले हमारा देश हिंदुस्तान के नाम से जाना जाता था। लेकिन कुछ लोग इसे धर्म से जोड़ते हैं, इसलिए आज भारत नाम पर जोर दिया जा रहा है, जो हमारी एकता और विविधता को बेहतर तरीके से दर्शाता है।
हमारा संविधान हमें एकजुट करता है और एक राष्ट्र के रूप में सोचने के लिए प्रेरित करता है। हमें यह समझना होगा कि अगर देश के हर नागरिक का विकास होगा, तभी पूरा देश प्रगति करेगा। हम सभी अपने संस्थान के माध्यम से देश के विकास में योगदान देते हैं। जो भी तकनीक, सॉफ़्टवेयर या ज्ञान हम उत्पन्न करते हैं, वह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के कल्याण के लिए है। जैसा कि हम कहते हैं, *वसुधैव कुटुंबकम्* – पूरा विश्व एक परिवार है, और हम उस परिवार का एक छोटा हिस्सा हैं।
इस संविधान दिवस पर हमें यह प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि सबसे पहले हम अपने भीतर और फिर अपने समाज से सभी बुराइयों को समाप्त करें। पिछले 75 वर्षों में हमारे देश में अद्भुत बदलाव हुए हैं। हमारा देश हमेशा महान रहा है, और इसे "सोने की चिड़िया" कहा जाता था। पिछले 400 से 500 वर्षों में यह गलत हाथों में चला गया, लेकिन अब आजादी के बाद हमें एकजुट होकर फिर से अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और इतिहास को पुनर्जीवित करना है।
हमारा लक्ष्य 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण करना है। वर्तमान में हम एक विकासशील देश हैं, लेकिन जब हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, तो हम विकसित भारत होंगे। इसमें देश के प्रत्येक व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। हमें पहले राष्ट्र को प्राथमिकता देनी चाहिए और फिर अन्य चीजों पर ध्यान देना चाहिए।मैं आप सभी को इस 76वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएँ देता हूँ और आपके उज्ज्वल और सफल भविष्य की कामना करता हूँ। अंत में उन्होने अपने उद्बोधन में सभी के सफल और आनंदमयी जीवन की कामना करते हुए सभी से जीवन में एक अच्छा दृष्टिकोण और मिशन रखने का आग्रह किया । प्रो. सिंह द्वारा प्रस्तुत बहुमूल्य विचारों ने निश्चित रूप से सभा में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया । अपने वक्तव्य के माध्यम से उन्होने स्वतंत्रता एवं सुदृढ राष्ट्र की भावना को जश्न के रूप में प्रस्तुत कर उन्होने सभी के हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ी ।आइये हम एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभाएँ और एक सुदृढ़ राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनें। आइए हम उन आदर्शों और बलिदानों का सम्मान करें जो हमारे महान राष्ट्र को परिभाषित करते हैं। उत्सव के इस क्षण में एकजुट होकर अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह पल सभी के लिए गर्व और श्रद्धा से भरपूर था जब सभी ने देशभक्ति की भावना और देश की स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व किया ।समारोह की जानकारी संस्थान की मीडिया प्रभारी श्रीमती दीपा सिंह सिसोदिया ने दी । जय हिंद! जय भारत!