जेयू का इतिहास-डॉ विमलेंद्र सिंह की कलम से...
जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर मध्य प्रदेश का संबद्धता विश्वविद्यालय है।यह नाम ग्वालियर के जीवाजीराव सिंधिया के नाम से आया है।विश्वविद्यालय की स्थापना 23 मई 1964 को हुई थी और भारत के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 11 दिसंबर 1964 को परिसर की आधारशिला रखी थी।तब विवि रंगमहल के पास शारदा विद्या मंदिर के दो कमरों में संचालित होता था। पहले कुलपति सीताराम श्यामराव भंडारकर थे, इन्हें राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया नेपाल से लेकर आई थी। उस समय शुरुआत 2 कोर्स जूलॉजी व बॉटनी व 10 प्रोफेसरों के साथ हुई थी।यह भारत सरकार द्वारा पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है।विश्वविद्यालय ग्वालियर और चंबल संभाग के सात जिलों में उच्च शिक्षा के संस्थानों को संबद्धता प्रदान करता है,ग्वालियर, मुरैना , भिंड , गुना , अशोकनगर , शिवपुरी , दतिया और श्योपुर कलां। इसकी शुरुआत 29 संबद्ध कॉलेजों से हुई थी और अब 400 से अधिक कॉलेज इससे संबद्ध हैं।विश्वविद्यालय ने अपने स्नातकोत्तर शिक्षण और अनुसंधान सत्र 1966-67 से वनस्पति विज्ञान और प्राणीशास्त्र में अध्ययन के स्कूलों (एसओएस) की स्थापना के साथ शुरू किया । 1969-70 के सत्र से भौतिकी , रसायन विज्ञान और प्राचीन इतिहास , संस्कृति और पुरातत्व में अध्ययन के स्कूल शुरू किए अर्थशास्त्र और गणित में स्कूल ऑफ स्टडीज 1978-79 में अस्तित्व में आया।स्कूल ऑफ स्टडीज इन कॉमर्स 1980-81 में शुरू हुआ और बायोकैमिस्ट्री का सत्र 1986-87 से शुरू हुआ । कंप्यूटर विज्ञान, इंजीनियरिंग और अनुप्रयोगों में अध्ययन स्कूल 1995-96 सत्र से शुरू हुआ।2000 में स्थापित, इंजीनियरिंग संस्थान जीवाजी विश्वविद्यालय जीवाजी और राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज है।जेयू ने 1987 के सत्र से स्कूल ऑफ स्टडीज इन कॉमर्स के तहत एमबीए कोर्स शुरू किया । स्कूल ऑफ स्टडीज इन लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस की स्थापना 1986 में और स्कूल ऑफ स्टडीज इन अर्थ साइंस 1991 में हुई थी। विश्वविद्यालय ने 1986 में विदेशी भाषा का एक केंद्र स्थापित किया। जो अंग्रेजी , फ्रेंच , जर्मन और रूसी में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रदान करता है । इंदिरा गांधी पर्यावरण शिक्षा अकादमी, पर्यावरण और पारिस्थितिकी के अंतःविषय कार्यक्रम1989 में स्थापित किए गए।समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में एम. फिल अध्ययन के लिए एक केंद्र 1990 में स्थापित किया गया था। इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, विश्वविद्यालय का तकनीकी शिक्षा केंद्र, 2000 में शुरू हुआ। संस्थान के अधिकांश छात्र एलएंडटी इंफोटेक, आईबीएम, पाटनी, एक्सेंचर, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम कर रहे हैं। विश्व विद्यालय को नेक ने प्लस प्लस प्रदान की है। जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा मेडिकल कॉलेज खोलने के क्षेत्र में भी तेजी से प्रयास किया जा रहे हैं। जिसके लिए 100 बीघा से अधिक जमीन नुनेरा में प्राप्त हो गई है। इस तरह हमारा जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदेश ही नहीं देश में एक प्रमुख स्थान बनाता हुआ आगे बढ़ रहा है।