एमजीएम मेडिकल कॉलेज: डीन की कुर्सी का विवाद नहीं थम रहा

इंदौर(मनीष नायक)।इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन पद को लेकर खींचतान थम नहीं रही है ।हालाकि हाईकोर्ट ने कड़ा रुख इख्तियार करते  साफ किया कि कोर्ट के ऑर्डर पर किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं है। डॉ पाँडे को तत्काल चार्ज देना है।मीडिया में स्टेटमेंट में कोर्ट के आदेश पालन की ग़लत व्याख्या पर कड़ी फटकार लगाई।

इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से 30 नवंबर को डॉ. संजय दीक्षित के रिटायरमेंट के बाद से दिन पद को लेकर खींचातानी कोर्ट तक पहुंची थी।हाई कोर्ट के आदेश से डीन का प्रभार डॉ. वीपी पांडेय ने लिया ओर जॉइन करने के 3 दिन बाद ही एक हफ्ते के अवकाश पर विदेश चले गए। डॉ पांडे डीन का प्रभार एमटीएच अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीलेश दलाल को सौंप गए।इस बीच कॉलेज के डीन का प्रभार देने के मामले में प्रभारी डीन रहे डॉ.अशोक यादव  की ओर से अंतरिम आवेदन लगाया गया और इसमें आपत्ति ली गई थी कि उनके पक्ष को नहीं सुना गया।इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला ने नाराजगी जताते हुए सरकारी वकील से कहा कि शासन कोर्ट से बड़ा है क्या? आपके पक्षकार मीडिया में वर्शन दे रहे कि शासन से आदेश नहीं मिला है।कोर्ट इसे संज्ञान में रखेगी।इससे पहले डॉ दीक्षित द्वारा डॉ. यादव को चार्ज सौंपे जाने के खिलाफ डॉ. पांडेय ने हाई कोर्ट में अपील की थी। उसमें हवाला दिया था कि वे सीनियर हैं। उनसे 15 साल जूनियर को कैसे चार्ज दिया गया। इस पर हाई कोर्ट ने वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. वीपी पांडेय को एमजीएम मेडिकल कॉलेज का डीन नियुक्त करने का आदेश दिया था।इसी बीच सोमवार को एमवायएच अधीक्षक और पूर्व प्रभारी डॉ. अशाेक यादव ने डीन ऑफिस में ताला जड़ दिया।  वजह बताने लगे कि कोई नहीं था, इसलिए ताला लगा दिया।हालाकि इस विवादित स्थिति के बीच  डॉ पांडे  द्वारा दिए प्रभार एमटीएच अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीलेश दलाल अधीक्षक कार्यालय काम के लिए पहुंचे लेकिन डीन की कुर्सी पर नहीं बैठे।

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