मध्यप्रदेश के नाम एक और विश्व रिकॉर्ड...
ग्वालियर।ग्वालियर में आयोजित तानसेन संगीत शताब्दी समारोह में आज 546 साधकों के एक साथ गूंज उठे वाद्ययंत्रों ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मध्यप्रदेश का नाम दर्ज कराया। समवेत वाद्ययंत्र प्रस्तुति के इस विश्व रिकॉर्ड के आयोजन में बांसुरी, सितार, सरोद, संतूर, शहनाई, वायलिन, सारंगी और हार्मोनियम पर 546 साधकों ने एक साथ प्रस्तुति देकर विश्व पटल पर भारतीय शास्त्रीय संगीत को गौरवान्वित किया है।
ग्वालियर किले पर सुरों की साधना को समर्पित समवेत प्रस्तुति में देश और प्रदेश के 536 कलाकारों में 9 शास्त्रीय वाद्ययंत्रों का वादन एक साथ किया। इसमें, 347 पुरुष एवं 189 महिला कलाकार सम्मिलित थीं। समवेत प्रस्तुति के माध्यम से स्वर सम्राट तानसेन को स्वरांजली अर्पित की गई। यह प्रस्तुति तानसेन रचित तीन राग जिनमें मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा में निबद्ध थी। इस प्रस्तुति का संयोजन सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार ने किया। समवेत प्रस्तुति में वाद्ययंत्रों के साथ ही गायन भी शामिल था। निरन्तर 9 मिनट तक वाद्यों का वादन करने पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रचा गया।
किस वाद्य पर कितने प्रतिभागी
गायन — 1
तबला — 76
बांसुरी — 56
वायलिन — 80
वोकल — 166
संतूर —3
सरोद — 13
सारंगी — 11
सितार —93
सितार—बैंजो — 1
हारमोनियम — 34
सहायक — 1
सहायक दल प्रमुख — 1
इस अवसर पर मुख्य मंत्री डॉ मोहन यादव,केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, जल संसाधन मंत्री और ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी, सांसद ग्वालियर श्री भरत सिंह कुशवाह, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला सहित स्थानीय अधिकारी और बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित रहें।
समस्त भारतीय कलाओं को सम्मान प्रदान करने के लिए संकल्पित संस्कृति विभाग द्वारा एक और कीर्तिमान रचा गया। तानसेन संगीत समारोह के 100वें उत्सव को स्मरणीय बनाने के उद्देश्य से ग्वालियर किला पर रविवार को वृहद समवेत प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
विगत वर्ष ताल दरबार से रचा था इतिहास
विगत वर्ष संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर में अपराजेय भारतीयता के विश्वगान राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन पर "ताल दरबार" ने मध्यप्रदेश के संगीत को एक वैश्विक पहचान दिलाई थी। यूनेस्को द्वारा चयनित संगीत नगरी में राष्ट्रीयता का उद्घोष करते हुए 1500 से अधिक संगीत साधकों ने प्रदेश की ऐतिहासिकता, सांस्कृतिकता और संगीत की त्रिवेणी को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया था।
संगीत सम्राट तानसेन को सच्ची आदरांजलि : मुख्य मंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई संगीत साधकों की समवेत प्रस्तुति संगीत सम्राट तानसेन को सच्ची आदरांजलि है। यूनेस्को सिटी ऑफ म्यूजिक ग्वालियर में संगीत विरासत को सहेजने का यह अद्भुत प्रयास है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में 536 कला साधकों में 9 वाद्ययंत्रों पर राग मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा का समवेत वादन कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में संगीत का विशेष महत्व है। महर्षि पतंजलि ने मानव शरीर में पाँच प्राण - प्राण, अपान, उदान, व्यान और समान - और पाँच उप-प्राण - नाग, कूर्म, देवदत्त, कृकला और धनंजय बताए है। संगीत इन सभी प्राणों में चेतना का जागरण करती है। भारतीय संगीत की साधना शरीर के रोम रोम को पुलकित कर देती हैं।