चित्र,मूर्ति कला प्रदर्शनी... उम्मीदें बहुत थी ग्वालियर की माटी से


ग्वालियर।उद्देश्य साफ था...संगीत कला की नगरी में कलाकारों के कला को सम्मान दिलाना...इन्ही अपेक्षाओं को लेकर सदाशय मंच ने कला मित्र पुरस्कार और प्रदर्शनी का आयोजित किया।इसमें देश के ख्यात कलाकार भी आए लेकिन ग्वालियर की माटी से वह प्यार नही मिल पाया जिसकी उम्मीद हर कलाकार को रहती है...शायद संगीत की नगरी के कला के सम्मान के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
     बैजाताल स्थित आर्ट,क्राफ्ट एंड डिजाइन सेंटर में  कलावंत धृतिवर्धन गुप्त के जमीनी प्रयासों से 15 सितम्बर से 17 सितम्बर तक चित्र,मूर्ति कला प्रदर्शनी का आयोजन हुआ।आयोजन कला और कलाकारों को उपस्थिति से काफी सम्मानजनक था।लेकिन इस प्रयास को ग्वालियर की माटी का अपेक्षित प्रेम नही मिला।इस प्रदर्शनी में देश भर के करीब 33 कलाकारों की सोच और सोच के पीछे दिन रात की मेहनत को रखा गया।लेकिन इस मेहनत को निहारने चुनिंद वही लोग पहुंचे जो कला को बचाने के प्रयासों में अपनी ढलती उम्र में भी प्रयास कर रहे है।
    कहने के लिए शहर में कला को लेकर संस्कृति विभाग का विश्व विद्यालय है...महाविद्यालय है...ओर विश्व विद्यालय से मान्यता प्राप्त ओर भी संस्थान है।लेकिन जहा कलाकार और उनकी कला को सम्मान की बात आती है वहा ये सब केवल एक दिखावा नजर आया है।इस सच को स्वीकारना मुश्किल है।लेकिन सच यही है कि  संगीत की नगरी में कला के सम्मान के लिए कलाकारों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

उम्मीदे बहुत थी...संतोष रामा सालवे 

महाराष्ट्र के जलगांव से ग्वालियर आए कलाकार संतोष रामा सालवे किसी पहचान को मोहताज नहीं है।अपनी कलाकृति को लेकर कई अवार्ड अपने नाम कर चुके संतोष भी प्रदर्शनी में ज्यादातर समय कला प्रेमियों के इंतजार में प्रदर्शनी स्थल पर अकेले बैठे रहे।संतोष को भरोसा था की उनकी कला को देखने कला प्रेमियों की भीड़ उमड़ेगी।लेकिन ऐसा नही हुआ।कलाकार संतोष ने आयोजकों की मेहनत को सराहा लेकिन कला देखने आने वालो की कम उपस्थिति से परेशान दिखे ओर बोले इतना ही कि उम्मीदें बहुत थी....

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