जेयू: जेयू के भौतिकी विज्ञान विभाग द्वारा भौतिकी और सामग्री विज्ञान में हालिया विकास पर दो दिवसीय वर्कशॉप का हुआ शुभारंभ ,फिजिक्स सभी टेक्नोलॉजी की जननी है - डॉ.ललित कुमार, बिना फिजिक्स के कुछ भी संभव नहीं है - प्रो.अविनाश तिवारी


ग्वालियर। सामग्री विज्ञान,लघुकरण और डेटा विश्लेषण में प्रगति के कारण कुछ वर्षों में सेंसर प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति देखी गई है।माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स में नवाचार और प्रगति सेंसर-आधारित तकनीक को एक नए स्तर पर ले जा रही है।सामान्य सेंसरों की कार्यक्षमता कई मायनों में विस्तारित हुई है।इनमें एनालॉग्स और डिजिटल ब्लॉकों की एक श्रृंखला शामिल हो सकती है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट फंक्शन, डेटा प्रोसेसिंग और एनालॉग्स टू डिजिटल रूपांतरण कार्यक्षमता प्रदान करता है जो सेंसर की विश्वसनीयता और माप सटीकता को बेहतर बनाने में मदद करता है।रासायनिक और जैविक अनुप्रयोगों के साथ-साथ भौतिक अनुप्रयोगों में पता लगाने के लिए सेंसर प्रौद्योगिकी में व्यापक प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि फिजिक्स सभी टेक्नोलॉजी की जननी है। सेंसर और डिवाइस आवश्यक है। डीआरडीओ में सेना के लिए प्लेन से लेकर मिशाइल बनाने त का काम किया गया है जिसमें फिजिक्स की भूमिका महत्वपूर्ण है।यह बात डीआरडीओ बैंगलोर के पूर्व निदेशक डॉ.ललित कुमार ने जेयू में आयोजित वर्कशॉप में बतौर मुख्य अतिथि कही।विशिष्ट अतिथि के रूप में  कुलसचिव अरूण चौहान व मुख्य वक्ता के रूप में इंदौर के वैज्ञानिक डॉ.मनोज गुप्ता उपस्थित रहे वहीं अध्यक्षता जेयू के कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी ने की।सभी अतिथियों के सामूहिक द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।तत्पश्चात छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना का गायन किया गया। इसके बाद प्रो.डीसी गुप्ता ने स्वागत भाषण दिया।प्रो.डीसी तिवारी ने कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी छात्रों को दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो.तिवारी ने कहा कि ग्रीन एनर्जी बिना फिजिक्स के संभव नहीं है।फायरलैस कुकिंग वर्तमान में आ रहा है। हाइड्रोजन पावर व्हीकल्स आ रही है यह फिजिक्स की ही देन है। उन्होंने कहा कि बिना फिजिक्स के कुछ भी संभव नहीं है।जब तक छात्र क्लास में नहीं आएंगे, लाइब्रेरी में नहीं जाएंगे तब तक नया कैसे सीखेंगे। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ.मनोज गुप्ता ने कहा कि कम-शक्ति वाले सील्ड-ऑफ CO2 लेज़र बाजार में अनुप्रयोग होते हैं। ये लेज़र आयातित होते हैं और 2-3 वर्षों के बाद निष्क्रिय हो जाते हैं। यह कार्यशाला गैर-कार्यात्मक CO2 लेजर के नवीनीकरण से संबंधित सफलता की कहानियों का एक संग्रह प्रस्तुत करेगी, जिससे मेक इन इंडिया मिशन का सपना साकार होगा।कार्यक्रम में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्मारिका का विमोचन किया गया।कार्यक्रम में तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का संचालन साक्षी गौतम ने किया।प्रो.एके श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।इस अवसर पर प्रो.जेएन गौतम,प्रो.आईके पात्रो,प्रो.एमके गुप्ता,प्रो.जीबीकेएस प्रसाद, डॉ.हरेंद्र शर्मा,डॉ विमलेन्द्र सिंह राठौर,अमित सिसौदिया,डॉ.सतेंद्र सिकरवार, डॉ.पीके जैन,छात्र छात्राओं सहित ख्यातिप्राप्त विद्वान व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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