भारत की जी-20 अध्यक्षता: द्वितीय शेरपा बैठक ‘ हरित विकास: 21वीं सदी के लिए महत्वाकांक्षी विजन की आवश्यकता’ पर पृथक कार्यक्रम


दिल्ली (मनीष नायक )। भारत की जी20 अध्यक्षता सचिवालय, भारत सरकार ने भारत में संयुक्त राष्ट्र और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के सहयोग से गुरुवार, 30 मार्च को ‘हरित विकासः 21वीं सदी के लिए महत्वाकांक्षी विजन की आवश्यकता पर एक आधिकारिक जी20 शेरपा बैठक नामक पृथक कार्यक्रम की मेजबानी की।

केरल के कुमारकोम के बैकवाटर रिपल्स रिजॉर्ट में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री अमिताभ कांत, जी20 शेरपा; जेफरी सैश, निदेशक, सतत विकास केंद्र, कोलंबिया विश्वविद्यालय; श्री अविनाश परसौद, निवेश एवं वित्तीय सेवाओं पर बारबाडोस के प्रधानमंत्री के विशेष दूत, एवं जलवायु वित्त पर स्वतंत्र उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह के सदस्य; शमिका रवि, सदस्य, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद, भारत सरकार; बोगोलो केनेवेंडो, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन उच्च-स्तरीय चैंपियंस के विशेष सलाहकार, अफ्रीका निदेशक; लिली हान, निदेशक, अभिनव वित्त, द रॉकफेलर फाउंडेशन; अमर भट्टाचार्य, वरिष्ठ फेलो, वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं विकास, सतत विकास केंद्र, ब्रुकिंग्स एवं कार्यकारी सचिव, जलवायु वित्त पर स्वतंत्र उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह; अनिरुद्ध दासगुप्ता, अध्‍यक्ष एवं सीईओ, विश्व संसाधन संस्थान; नीना फेंटन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व प्रमुख, दक्षिण एशिया, यूरोपीय निवेश बैंक; श्री ओवैस सरमद, उप कार्यकारी सचिव, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन; सुश्री श्लोका नाथ, सीईओ, इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव; श्री जॉर्ज ग्रे मोलिना, रणनीतिक सहभागिता के प्रमुख एवं मुख्य अर्थशास्त्री, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम; और डॉ. स्टीफन वेगुड, मुख्य उत्तरदायी निवेश अधिकारी, अवीवा के मुख्य भाषण और भागीदारी शामिल रही।

श्री अमिताभ कांत ने अपने स्वागत भाषण में हरित विकास के लिए एक नए विजन की आवश्यकता पर चर्चा शुरू करते हुए कहा, ‘भारत हरित विकास और एसडीजी एजेंडे को आगे बढ़ाने में महत्वाकांक्षी, समावेशी, निर्णायक और अत्‍यंत सक्रिय होना चाहता है।’ शमिका रवि, जिन्होंने सतत और हरित विकास के लिए एक नए प्रतिमान पर पैनल परिचर्चा का संचालन किया, ने पूछा, ‘विशेष रूप से संबंधित वित्तपोषण में व्‍यापक और निरंतर अंतर को देखते हुए जी20 के हरित विकास एजेंडे का विस्‍तृत स्‍वरूप क्या होना चाहिए?’ जेफरी सैश ने इस पर अपनी राय देते हुए कहा, ‘दुनिया के सबसे गरीब और सबसे कमजोर देशों के लिए सतत विकास के वित्तपोषण के लिए दुनिया को हर साल कम से कम 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का वृद्धिशील लक्ष्य रखना चाहिए।’ यूरोपीय संघ की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए नीना फेंटन ने कहा, ‘अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। कोविड-19 महामारी की वजह से विकास के मोर्चे पर निवेश में व्‍यापक गिरावट देखने को मिली है, अत: पूरी दुनिया को अधिक से अधिक तत्परता से इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।’

‘हरित विकास’ सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बहुपक्षीय कदम उठाने की तात्कालिकता पर बोलते हुए ओवैस सरमद ने कहा, ‘पूरी दुनिया पहले से ही 1.1 डिग्री ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रही है, जिस वजह से अनगिनत लोगों की जान चली गई है और बड़ी संख्‍या में लोगों को अपनी आजीविका गंवानी पड़ी है। सीओपी28 में एक जन-केंद्रित दृष्टिकोण और अंतर्निहित निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जी20 की ओर से स्पष्ट प्रतिबद्धता काफी अहम होगी।’ बोगोलो केनेवेंडो ने कहा कि जी20 को ‘प्रकृति के वाणिज्यिक मूल्य के बारे में नए सिरे से सोचने और सामंजस्य बनाने की आवश्यकता है जो दुनिया भर के देशों को अधिक जवाबदेह बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।’

अविनाश परसौद ने आगे जोर देते हुए कहा, ‘विकास और जलवायु लक्ष्यों के बीच विरोधाभास गलत है। ये वैश्विक स्तर पर गरीबी और असमानता जैसी चुनौतियों से निपटने के समान तरह के अवसर को दर्शाते हैं।’

कई वक्ताओं ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया कि पिछले दशक में भारत किस तरह से एसडीजी की ओर आगे बढ़ने और त्वरित जलवायु कार्रवाई के लिए कुछ सबसे महत्वाकांक्षी नीतियों के कार्यान्वयन के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने में कामयाब रहा है। यह विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि भारत सतत विकास और समान जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तीय प्रवाह बढ़ाने के लिए एक साहसिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है, और ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ)’ दृष्टिकोण के माध्यम से वैश्विक सतत खपत के लिए एजेंडा तय कर रहा है।

आज की कुछ मुख्य बातें ये थीं:

प्रभावकारी हरित बदलाव सुनिश्चित करने के लिए जी20 द्वारा काम करने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण निरीक्षण बिंदु के रूप में उभर कर सामने आए हैं:

  • मानव और प्राकृतिक पूंजी में दीर्घकालिक निवेश के वाणिज्यिक मूल्य को स्‍वीकार करते हुए आर्थिकसामाजिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों में सामंजस्य बनाना।
  • सबसे कमजोर समुदायों के लिए ऊर्जा सुलभ बनाने के लिए जी20 के प्रयासों में निरंतरता सुनिश्चित करनाकृषि सुधारों को आगे बढ़ानाऔर हरित विकास के लिए सिर्फ बदलाव को बढ़ावा देने के अलावा टिकाऊ शहरों और जीवन शैली को सुनिश्चित करना।
  • समायोजन करने के अवसरों को पहचानते हुए मजबूती और समानता सुनिश्चित करने के लिए अनुकूलन के लिए ठोस प्रयासों पर जोर देना।
  • विभिन्न हितधारकों के बीच बढ़ते सहयोग के माध्यम से विकासशील देशों में जलवायु और विकास वित्त प्रवाह में तेजी लाना। .
  • एसडीजी प्राप्‍त करने के लिए पूंजी के सभी रूपों में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता होगीजिससे एमडीबी इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त हो जाएगानिजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और कमजोर देशों के लिए ऋण और रियायती वित्त पर ध्यान केंद्रित करना। .
  • वैश्विक नीति और अंतर्राष्ट्रीय वित्त में अभिसरण सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त दीर्घकालिक निवेश से आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की संभावनाओं पर प्रकाश डाला जाना चाहिएताकि सतत और हरित बदलाव के लिए अहम राजनीतिक और आर्थिक माहौल का निर्माण हो सके।

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