भारत ने आईएमओ की रणनीतिक योजना में डिजिटलीकरण को शामिल करने के संयुक्त अरब अमीरात के प्रस्ताव का समर्थन किया

 दिल्ली (पूजा भट्ट )। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के सचिव डॉ. संजीव रंजन ने लंदन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओकी परिषद के 128वें सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा, 'भारत अगली रणनीतिक योजना में डिजिटलीकरण के हिस्से को शामिल करने के साथ-साथ डिजिटलीकरण पहल के एक हिस्से के तहत एक समुद्री एकल खिड़की प्रणाली को अपनाने से संबंधित यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के प्रस्ताव का समर्थन करता हैक्योंकि यह समुद्री उद्योग में आने वाली नियामक बाधाओं के समाधान में सहायता करेगा। डिजिटलीकरण के लिए समयबद्ध कार्य योजना, आईएमओ के इस रणनीतिक निर्देशों का हिस्सा होना चाहिए।'

 

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डॉ. संजीव रंजन ने सीओपी-27 में भारत के दिए गए इस बयान पर जोर दिया कि मानवता के लिए सुरक्षित ग्रह की ओर यात्रा, हमारे मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में जलवायु न्याय के साथ भागीदारी के साथ की जाने वाली सामूहिक यात्रा है। उन्होंने आगे भारत के इस पक्ष को भी सामने रखा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और इसके लिए वित्त पोषण को एक अलग रणनीतिक दिशा के रूप में शामिल किया जा सकता हैजिसमें सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांत को आगे बढ़ने की नींव के रूप में शामिल किया जा सकता है।

'कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिएकी अवधारणा सहित 'क्षमता-निर्माण दशक 2021-2030रणनीति पर भारत, संयुक्त अरब अमीरात के प्रस्ताव की सराहना करता है। भारत ने इसका उल्लेख किया है कि मौजूदा सामरिक योजना के तहत 8 रणनीतिक निर्देशों के उद्देश्यों के अंतर्गत यह हिस्सा व्यापक रूप से समाहित नहीं होता है। इसे देखते हुए भारत विकासशील राष्ट्रों की सहायता के लिए तकनीकी सहयोग समिति के कार्य के माध्यम से आईएमओ के पास उपलब्ध वित्तीय और तकनीकी संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए इस पहलू को महत्वपूर्ण मानता है।

आईएमओ सुरक्षापर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा और साइबर सुरक्षा जोखिमों के प्रबंधन को सुनिश्चत करने का कार्य कर रहा है, जिससे पोत परिवहन डिजिटल क्रांति को अपना सके। इससे संबंधित हितधारकों यानी पोत परिवहन, पत्तन और लॉजिस्टिक्स (रसद) के बीच सहभागिता पोत परिवहन के डिजिटलीकरण को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह इसकी दक्षता और स्थिरता में बढ़ोतरी करेगा, जिससे व्यापार की सुगमता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

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