रीढ़ सम्बन्धित बीमारी बढ़ने की 4 अहम वजह -हाई स्पीड ड्राइविंग, मोबाइल , सिटिंग जॉब धूप से परहेज ,न्यूरो स्पाइनल दिवस पर न्यूरो सर्जनों ने दी कई चोंकाने वाली जानकारी
इंदौर।पिछले 15 सालो में रीढ़ सम्बंधित बीमारियों में लगातार बड़ी तेजी से बढोत्तरी हो रही है। अकेले एमवाय अस्पताल में ही महीने भर में लगभग 200 मरीज यानी साल भर में 2400 से ज्यादा मरीज रीढ़ का इलाज कराने आते है इनमें से 350 से ज्यादा मरीजो की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन के जरिये इलाज किया जाता है। अकेले एमवाय अस्पताल के आंकड़े बताते है कि शहर के निजी अस्पतालों में रीढ़ से सम्बंधित बीमारियों का इलाज कराने वालों की संख्या कितनी ज्यादा होगी। हाई स्पीड ड्राइविंग एंड्रॉइड मोबाइल , कम्प्यूटर लेपटॉप से जुड़े सिटिंग जॉब के अलावा आराम दायक जीवन शैली ,यह चार मुख्य वजहों के कारण रीढ़ की बीमारी या मरीजो की संख्या बढ़ने का सिलसिला जारी है।
यह चौकाने वाले खुलासे बुधवार को एमवाय अस्पताल में न्यूरो स्पाइनल दिवस पर आयोजित कार्यशाला में प्रोफेसर न्यूरो सर्जन डॉक्टर राकेश गुप्ता ने किए।
एमवाय अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग ने बुधवार को को रीढ़ की बीमारियों के बारे में कई जिज्ञासाओं व भ्रांतियों को दूर करने के लिए न्यूरो स्पाइनल कार्यशाला का आयोजन किया था।
न्यूरोसर्जरी विभाग अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि न्यूरोस्पाइनल सर्जन एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष ,वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जनस की स्पाइन कमिटी के पूर्व चेयरमैन, मुंबई के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्पाईन सर्जन प्रो पी एस रमाणी के जन्मदिवस 30 नवंबर को न्यूरोस्पाइनल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
डॉ राकेश गुप्ता के अनुसार एमवाय अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में रीढ़ की बीमारियों से सबंधित हर माह लगभग 200 मरीज इलाज के लिए आते हैं इनमें से चुनिंदा 25 से30 मरीजों का सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया जाता है । पिछले 15 सालों में रीढ़ से सम्बंधित मरीज इसलिए बढ़ रहे है क्योंकि ज्यादातर लोग एंड्रॉइड मोबाइल का 24 घण्टे में से लगभग 18 घण्टे इस्तेमाल करते है जिसके कारण उनकी गर्दन इस दौरान लगातार झुकी रहती है इसी तरह कम्प्यूटर अथवा लेपटॉप पर कई घण्टो तक सिटिंग जॉब करते है। इसके अलावा सड़के चौड़ी होने के कारण कई लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर वाहनों पर हाई स्पीड ड्राइविंग करते है जिसके कारण एक्सीडेंट में रीढ़ की हड्डी में फेक्चर हो जाते है। चौथा सबसे बड़ा कारण है अब लोग मोबाइल या लैपटॉप पर ज्यादा व्यस्त रहते है इस कारण वह धूप में नही निकलते जिससे उनमे विटामिन डी की कमी हो रही है इसके कारण हड्डियां व नसे कमजोर हो रही है । कई लोग घर या ऑफिस से लगा कर कार तक मे एयरकंडीशन का इस्तेमाल करते है इस आराम दायक जीवन शैली के कारण शरीर अंदरूनी तौर पर खोखला होता जा रहा है। सभी लोगो को शारीरिक मेहनत जरूर करना चाहिए पैदल चले व्यायाम करें बाहर मैदानी एक्टिविटी यानी खेल कूद वाली गतिविधियों से जुड़े रहे कम से कम आधे घण्टे धूप का सेवन जरूर करे।
इस कार्यशाला में
मुख्य अतिथि बतौर मौजूद महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज संस्थान के डीन डॉ संजय दीक्षित ने बताया कि मरीज ही नही बल्कि शहर वासियों को जागरूक करने के लिए ऐसी कार्यशाला के आयोजन होते रहना चाहिए। अस्पताल के अधीक्षक डॉ पी एस ठाकुर ने रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से निपटने के लिए बिना देर किए जल्दी से जल्दी इलाज़ कराने की सलाह दी ।
इस कार्यक्रम में रीढ़ की बीमारियों से पीड़ित मरीजों एवं आमजनों को इन बीमारियों की पहचान व परीक्षण, और इलाज़ ,ऑपरेशन इत्यादि के बारे में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा जानकारी दी गई ।
पेन मैनेजमेंट कंसल्टेंट डॉ रितु पौराणिक, न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अर्चना वर्मा , न्यूरो सर्जन डॉ परेश सोधिया ने सम्बन्धित विषयों पर मरीजों औऱ उनके परिजनों से सीधे संवाद करते हुए इस संबंध में फैली हुई वहम और भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा रीढ़ सम्बन्धित बीमारियों में से सिर्फ 10 प्रतिशत मामलों में ही ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। बाकी मरीजो को दवाई योगा एक्सरसाइज के जरिये ठीक किया जाता है।
डॉ मुकेश शर्मा औऱ उनकी टीम ने मरीजों की कई जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।
इस दौरान मौजूद लगभग 30 मरीजों ने ऑपरेशन से हुए लाभ के अपने अनुभव साझा किए।