रागायन की मासिक संगीत सभा - सुगम संगीत के सुरों में खिला भक्ति रस

ग्वालियर। शहर की प्रतिष्ठित सांगीतिक संस्था रागायन की मासिक संगीत सभा में आज सुगम संगीत के सुर खिले। लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित सभा की अध्यक्षता शाला के श्रीमहंत स्वामी रामसेवकदास जी महाराज ने की। इस अवसर पर शहर के नामचीन गायक वादकों ने सांगीतिक प्रस्तुतियां दीं।
    इस संगीत सभा के प्रारंभ में शाला के महंत पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास जी ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर एवम गुरु पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में रसिक श्रोता उपस्थित थे।सभा का आगाज नवोदित गायिका कुमारी वर्षा मित्रा के गायन से हुआ। वर्षा ने मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने दो भजनों की प्रस्तुति दी। राग चारुकेशी पर आधारित भजन तुम बिन मेरी कौन खबर ले... और तुम करुणा के सागर .. भजन गाकर माहौल में भक्ति का रस घोल दिया।अगली प्रस्तुति में वरिष्ठ कलाकार टिकेंद्रनाथ चतुर्वेदी ने भजन और झूला की प्रस्तुति दी। श्री चतुर्वेदी जी रागायन परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं । उन्होंने सूरदास जी द्वारा रचित पद - देखो री सखी एक बाला योगी द्वार तुम्हारे आयो .. की  मधुर प्रस्तुति दी। इसके पश्चात उन्होंने झूला गीत पेश किए। और कृष्ण भक्ति का भाव साकार किया। 
इसके पश्चात आए मनीष शर्मा जी ने भजनों के माध्यम से चेतावनी दी की मनुष्य का जीवन एक सपना है सो इसे प्रभु की भक्ति में लगाया जाना चाहिए। उन्होंने - जीवन तेरा है एक सपना और उठ जाग मुसाफिर ... भजनों की प्रस्तुति दी।

अगली प्रस्तुति में डॉ मुकेश सक्सेना ने भजनों की शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी।उन्होंने  गुरुवंदना - नाम के बिना सदगुरु नाम के बिना , पेश की। इसके बाद कबीरदास जी रचित भजन मोकों कहां ढूंढे वंदे की प्रस्तुति दी।इसके बाद उन्होंने और भी कई भजन पेश कर भक्ति का माहौल भर दिया। डॉ सक्सेना की पहचान एक तबला वादक की है, लेकिन वे श्रेष्ठ भजन गायक भी है। 

कार्यक्रम की अगली कड़ी में डॉ अरुण धर्माधिकारी ने भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने राग पटदीप पर आधारित भजन -  बाजे री मुरलिया बाजे की प्रस्तुति दी। अगली प्रस्तुति में उन्होंने भेजो री मन राम नाम सुखदाई की प्रस्तुति दी।
सभा का समापन ग्वालियर के जाने माने गायक श्री राजेंद्र पारिख के गायन से हुआ। उन्होंने एक से बढ़कर एक मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। उन्होंने राम स्तुति - श्रीरामचंद्र कृपालु भजमन... की सुमधुर प्रस्तुति दी। राग यमन के सुरों और रूपक ताल में सजी ये प्रस्तुति एक अनूठा भाव पैदा कर गई। उन्होंने अगली प्रस्तुति में - काहे वन खोजन जाई की प्रस्तुति दी।उन्होंने इसके बाद और भी कई भजन पेश किए। आपके साथ पीयूष झा ने भी गायन में साथ दिया।
इन प्रस्तुतियों में तबले पर डॉ मुकेश सक्सेना, मनीष शर्मा महमूद खान, हेमंत कुशवाह भोलाराम माहौर आदि ने साथ दिया।कार्यक्रम में ग्वालियर घराने के वरिष्ठ संगीत साधक पंडित श्रीराम उमडेकर को वर्ष 2022 का पंडित श्री सीतारामशरण महाराज स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें गत 10 जून को रागायन के वार्षिक समारोह में प्रदान किया जाना था ,लेकिन तब शहर से बाहर होने के कारण वे आ नहीं सके ,ऐसे में रविवार की सभा में उन्हें सम्मान स्वरूप शॉल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार चंद्रवेश पांडे को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रागायन के अध्यक्ष एवं शाला के महंत स्वामी रामसेवकदास जी महाराज , सचिव पंडित रामबाबू कटारे, डॉ मुकेश सक्सेना, ब्रह्मदत्त दुबे संजय देवले मनीष शर्मा , डॉ अरुण धर्माधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे।