आत्मनिर्भर भारत की मिसाल बनीं ग्वालियर जिले की ग्रामीण महिलाएँ 2348 महिलाएं बनी लखपति क्लब की सदस्य

 


ग्वालियर / वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बाबजूद ग्वालियर जिले की ग्रामीण महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की नई इबारत लिखी है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने स्व-सहायता समूहों से जुड़ीं जिले की 2 हजार 348 ग्रामीण महिलाएं विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के जरिए हर महीने 10 हजार रूपए से अधिक कमा रही हैं। इस प्रकार साल भर की आमदनी के आधार पर ये महिलाएं लखपति क्लब में शामिल हो गई हैं। ग्वालियर जिले की ये ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर भारत की मिशल बन गई हैं। 

स्व-सहायता समूहों के जरिए मिली आर्थिक मदद से ग्रामीण महिलाएं गारमेंट सेक्टर, मास्क, सेनेटाइजर व पीपीई किट निर्माण, सेनेट्री नेपकिन यूनिट, कालीन व आर्टिफिशियल ज्वैलरी, साबुन, हैण्डवॉश व वॉशिंग पाउडर, व्यवसायिक सब्जी मसलन मशरूम व अन्य सब्जियाँ मसाला उत्पादन, फूलों की खेती, झाडू, दौना-पत्तल निर्माण, अचार व पापड़ उत्पादन, डेयरी, मछली पालन व बकरी पालन जैसी आर्थिक गतिविधियां सफलतापूर्वक चलाकर आत्मनिर्भर बन गई हैं। गारमेंट सेक्टर से लगभग 1200 परिवार, व्यवसायिक सब्जी से 219 परिवार, उन्नत खेती से 850 परिवार, आर्टिफिशियल ज्वैलरी निर्माण से 170 परिवार, डेयरी गतिविधि से 240 परिवार, झाडू निर्माण से 410 परिवार, रूई बाती निर्माण से 335 परिवार और मसाला उत्पादन इकाईयों से 40 परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। 

9 हजार पीपीई किट और 4 लाख मास्क बनाए 

कोरोना संकट से पहले ग्वालियर जिले में एक भी पीपीई किट का निर्माण नहीं होता था। जब कोरोना ने पाँव पसारे तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान  के आह्वान पर स्व-सहायता समूहों से जुड़ी जिले की ग्रामीण महिलाएं पीपीई किट और मास्क बनाने में जुट गईं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री किशोर कान्याल ने बताया कि जिले के 15 ग्रामों के 165 समूहों से जुड़ी 370 महिलाएं बड़े पैमाने पर मास्क और पीपीई किट का निर्माण कर रही हैं। स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा अब तक 9 हजार से अधिक पीपीई किट बनाई जा चुकी हैं। इनमें से 6 हजार पीपीई किट पुलिस को और शेष पीपीई किट मेडीकल कॉलेज एवं अन्य विभागों को उपलब्ध कराई गई हैं। इनसे समूहों की महिलाओं को 30 लाख रूपए की आमदनी हुई है। इसी तरह स्व-सहायता समूहों एवं उनके संगठनों द्वारा 4 लाख से अधिक मास्क बनाए जा चुके हैं, इनसे समूहों की महिलाओं को 150 लाख रूपए का लाभ मिला है। इसी तरह स्व-सहायता समूहों से जुड़ीं महिलाओं द्वारा दीदी गारमेंट के जरिए जिले के 1356 शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के लिये एक लाख 22 हजार गणवेश (यूनीफार्म) तैयार करने का काम भी किया जा रहा है। 

3126 समूहों से जुड़ी हैं 35 हजार 863 महिलाएं 

जिले के ग्रामीण अंचल में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जिले के 428 गाँवों तक पहुँच चुका है। मिशन के तहत इन गांवों में अब तक 3 हजार 126 स्व-सहायता समूह बनाए गए हैं। इन समूहों से 35 हजार 863 महिलाएं जुड़ी हैं। हर समूह का अलग-अलग कोष बना है, जो आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ समूह की महिलाओं की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी मदद करता है। ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिले में 291 ग्राम संगठन व 16 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाए गए हैं। इनमें से 1974 स्व-सहायता समूहों को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा 238 लाख रूपए चक्रिय राशि (रिवॉल्विंग फंड) के रूप में मुहैया कराई जा चुकी है। साथ ही 231 ग्राम संगठनों को 902 लाख रूपए सामुदायिक निधि के रूप में दिए गए हैं। इसके अलावा बैंकों द्वारा भी 1065 समूहों को 13 करोड़ 29 लाख रूपए की राशि आजीविका गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिये दी गई है। समूहो के सशक्तिकरण की कड़ी में मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना के तहत 3 हजार 255 हितग्राहियों को स्वरोजगार के लिए 325 लाख रूपए से अधिक की मदद भी दी गई है। 

समूह के उत्पादों को बाजार भी दिलाया 

स्व-सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों के क्लस्टर बनाए गए हैं। साथ ही उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने के लिये भी जिला पंचायत द्वारा कारगर कदम उठाए गए हैं। समूहों के उत्पादों की ग्वालियर स्थित संभागीय हाट बाजार, ऑनलाइन प्लेटफार्म मसलन सर्व ग्वालियर व रूरल मार्ट के जरिए बिक्री हो रही है। समूह की महिलाएं बेहतर ढंग से अपनी आर्थिक गतिविधि चला सकें, इसके लिये उन्हें समय-समय पर कौशल उन्नयन प्रशिक्षण भी दिलाया जाता है। 


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