भोपाल में 1000 से अधिक माताओं ने उठाया बीड़ा और गांवों में चल पड़ी "मां की पाठशालाएं"

 भोपाल |  भोपाल की हजारों माताओं ने बीड़ा उठाया और पंचायत तथा शिक्षा विभाग के समन्वय से भोपाल जिले के सैकड़ों गांवों में चलने लगीं *""माँ की पाठ शालाएं। ""* कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों की इन शालाओं का समय भी यही माताएं तय करती हैं और पंचायत की बड़ी एंड्राइड टी.वी पर गांव के ही शिक्षकों के मार्फ़त शुरू हो जाती है पढ़ाई। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि 2 घण्टे की इस क्लास में 15 से ज्यादा बच्चे ही आये आखिर कोरोना से भी बच्चों को सुरक्षित भी रखना है।

   यह खुशियों की दास्तां शुरू होती है, जिला पंचायत भोपाल की पहल पर ग्राम पंचायत भवनों में कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों के लिए *"मां की पाठशाला"* का संचालन कैसे किया जाए। इसकी शुरुआत ब्लॉक फंदा ग्रामीण के दूर अंचल ग्राम रायपुर, निपानिया सूखा, झिरनिया, ईटखेड़ी, तारासेवनिया, मुगालिया हाट, पुराछिंदवाड़ा, से की गई है। ब्लॉक बैरसिया एवं फंदा की ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर शासन की ओर से 50 इंच की टीवी पूर्व से ही उपलब्ध है। इस टीवी में पेनड्राइव के माध्यम से राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा भेजी जाने वाली शिक्षण सामग्री बच्चों को दिखाई जाती है। शंकाओं का समाधान ग्राम में रहने वाले शिक्षक द्वारा ही किया जाता है।
    इस पाठशाला का समय ग्राम के बच्चे और अभिभावकों द्वारा ही तय किया गया है। तेज ठंड होने के कारण लगभग  दोपहर 1:00 बजे के बाद ही 90 मिनट की पाठशाला संचालित हो रही हैं।
   कोरोना संकट काल के प्रारंभ से ही राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा रोचक एवं महत्वपूर्ण शिक्षण सामग्री प्रत्येक जिले में भेजी जाती है। प्राप्त होने वाली सामग्री जन शिक्षक एवं शिक्षक के माध्यम से विद्यार्थियों के एंड्राइड मोबाइल पर भेजी जाती है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में समस्या यह है कि, लॉकडाउन में अभिभावक घर पर रहते थे,तब प्राथमिक विभाग के मात्र लगभग 15 प्रतिशत बच्चे एंड्राइड मोबाइल का उपयोग कर पाते थे। 
जैसे ही लॉकडाउन हटा, अभिभावक अपनी आजीविका के लिए घर से बाहर निकल पड़े, तो ऐसी स्थिति में बच्चों को एंड्राइड मोबाइल उपलब्ध नहीं हो पाया। शून्यता का माहौल पैदा हो गया था। जब जिला पंचायत, भोपाल के सी ई ओ द्वारा दूर अंचल के ग्रामों का सघन भ्रमण किया गया तो, उन्होंने इन बच्चों की पढ़ाई जारी रखने हेतु भोपाल जिले की 187 ग्राम पंचायतों के सभा-कक्ष में बड़ी टीवी उपलब्ध कराई। उनकी पहल पर गांव की बुजुर्ग महिलाये दादा-दादी एवं नाना-नानी के रूप में आगे आकर जिम्मेदारी में अपना हाथ बटाना शुरू किया। साथ ही उसी ग्राम में निवास करने वाले शिक्षको द्वारा अपना योगदान दिया जा रहा है। प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी को भी बच्चों हेतु संचालित कर दिया गया। इसी लाइब्रेरी में स्कूलों की लाइब्रेरी की पुस्तकें सम्मिलित की गई। लाइब्रेरी की पुस्तकें कक्षा 6, 7, 8 के सीनियर 2 विद्यार्थियों द्वारा संचालित की जा रही है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा  शिक्षण सामग्री एक लिंक के माध्यम से प्राप्त होती है और उस लिंक पर प्राप्त सामग्री को प्रत्येक ग्राम पंचायत तक पेन ड्राइव के माध्यम से पहुंचाया जाता है। इस पाठशाला का लाभ जिले के ग्रामीण क्षेत्र के शासकीय स्कूलों में कक्षा 3 से 5 तक के दर्ज लगभग 4500 विद्यार्थियों को मिल रहा है। 119 ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर मां की पाठशाला का संचालन हो रहा है। इन पाठशालाओ से 1054 गांव की बुजुर्ग महिलाएं जुड़ चुकी है। जनवरी के प्रथम सप्ताह से सभी ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर "मां की पाठशाला" संचालित हो। समन्वय के साथ इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। जिन बच्चों के घर पर एंड्राइड मोबाइल भी नहीं है। उन बच्चों को बड़ी टीवी पर अपनी कक्षा का कोर्स देखते-पढ़ते हुए आनंद प्राप्त हो रहा है। प्रत्येक दिवस मात्र 15 बच्चे आते हैं। अधिक संख्या की स्थिति में अल्टरनेट दिनों में व्यवस्था की गई है। दो गज दूरी एवं मास्क है जरूरी के अंतर्गत सभी मास्क लगाकर आते है एवं पर्याप्त दूरी पर बैठकर अपना ज्ञान वर्धन करते हैं। 
जिला पंचायत, भोपाल की पहल पर संचालित "मां की पाठशाला" की अभिभावकों द्वारा प्रशंसा की जा रही है।

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