प्रदेश की सियासत के 'मैनेजमेंट गुरु' कमलनाथ

भोपाल। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मैनेजमेंट के बड़े खिलाड़ी माने जाते रहे है। उनके प्रबंधन और प्लानिंग की चर्चा राजनीतिक गलियारों में कई सालों है। प्रदेश में भी कांग्रेस की 15 साल बाद वापसी 2018 में कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उनके प्रबंधन को ही माना जाता है।वहीं अब उपचुनाव को लेकर कमलनाथ के मैनेजमेंट की चर्चा है।


 उप चुनावो में कमलनाथ की सक्रियता जिस तरह से राजनीतिक आकाओं को परेशान कर रहा है। जिस दिन से कमलनाथ सरकार गई है कमलनाथ घर नहीं बैठे हैं। कमलनाथ लगातार जनता के संपर्क में हैं और जनता से संवाद बनाए हैं।कमलनाथ के प्रबंधन का कोई सानी नहीं है।इस मैनेजमेंट पर भाजपा नेता हितेश वाजपेई ने तंज कस है। उनका कहना है कि पंकज शर्मा कमलनाथ के मीडिया सलाहकार हैं, उन्होंने सलाह दी है कि कमलनाथ से बेहतर प्रबंधन देश में कोई नहीं कर सकता है।स्पष्ट रूप से कहा है कि देश भर में इस तरह का प्रबंधन राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी सीख जाएं, तो सीटें बढ़ जाएंगी। इसका मतलब यह है कि राहुल और सोनिया गांधी से बेहतर राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलनाथ को हो सकते हैं, क्योंकि यहां से तो 10 नवंबर को उनका बोरिया बिस्तर बंधने वाला है, तो 10 नवंबर के बाद कमलनाथ क्या करेंगे ? इसलिए उनके लिए अभी से पिचिंग शुरू की गई है कि उन्हें वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया जाए।


पॉलिटिकल एक्सपर्ट वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का कहना है कि कमलनाथ भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से एक है,जिनके पास राजनीति का दीर्घकालीन अनुभव है. लगभग 40 सालों तक वे सांसद रहे हैं।इसके अलावा कांग्रेस के महासचिव और कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि उनका चुनाव का अनुभव लड़ने और लगवाने का पुख्ता है. जहां तक बात बीजेपी के सामने कमलनाथ का अनुभव की है तो 2018 के चुनाव में बीजेपी के 160 विधायकों की गिनती को 107 पर लाकर खड़ा कर दिया था. लिहाजा कमलनाथ प्लानिंग और प्रबंधन के मास्टर हैं।मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लगातार नौ बार सांसद होने का रिकॉर्ड कमलनाथ के नाम है। उन्हें लोकसभा के अति वरिष्ठ सांसदों में शुमार होने का गौरव प्राप्त है. लिहाजा कमलनाथ के राजनीतिक अनुभव और चुनावी मैनेजमेंट के साथ संगठन पर पकड़ का हर कोई मुरीद है 


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