खेतों में ही धान की नरवाई जलाई तो अर्थदण्ड के साथ धारा-188 के तहत कार्रवाई होगी  कलेक्टर ने आदेश जारी कर धान के अवशेष जलाने पर लगाया प्रतिबंध 

ग्वालियर। जिले में धान के अवशेषों (नरवाई) को खेतों में ही अंधाधुंद तरीके से जलाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत इस आशय का आदेश जारी किया है । उन्होंने आदेश में स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति या संस्था ऐसा करते हुए पाई गईं तो उसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार निर्धारित पर्यावरण मुआवजा जमा करना होगा। साथ ही इस आदेश का उल्लंघन दण्ड विधान की धारा-188 के तहत दण्डनीय होगा। पर्यावरण मुआवजा निर्धारण तथा अर्थदण्ड के लिये संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी अधिकृत किए गए हैं। 
 धान के अवशेषो को जलाने पर दो एकड़ या उससे कम जमीन धारक को 2500 रूपए अदा करने होंगे। इसी तरह दो एकड़ से अधिक और 5 एकड़ से कम जमीन वाले धारक को अवशेष जलाने की हर घटना पर 5 हजार रूपए का मुआवजा देना होगा। 5 एकड़ से अधिक भूमि के लिये 15 हजार रूपए का मुआवजा निर्धारित किया गया है। 
 कलेक्टर श्री सिंह ने आदेश में स्पष्ट किया है कि कम्बाइन संचालकों को धान फसल कटाई के समय  पूरा एहतियात बरतना होगा। इस अवसर पर अग्निशमन यंत्र, रेत की बाल्टियाँ इत्यादि सहित कर्मचारियों की व्यवस्था भी रखनी होगी। विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को भी इस आदेश के जरिए हिदायत दी गई है कि धान के खेतों के पास स्थित ट्रांसफार्मर की निरंतर निगरानी रखें, जिससे चिंगारी व शॉर्ट सर्किट की वजह से अग्नि दुर्घटना की संभावना न रहे। 


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