खुशियों की दास्तां ललिता कहती हैं हमें हर आड़े वक्त में सरकार से सहारा मिला
ग्वालियर। असमय किसी अपने के चले जाने से परिवार में जो खालीपन आता है, उसे कोई नहीं भर सकता। पर विपत्ति के समय मिली आर्थिक मदद से परिवार को फिर से खड़ा होने की ताकत जरूर मिलती है। ललिता जाटव कहती हैं कि हमारे परिवार पर जब संकट आया तो प्रदेश सरकार मदद लेकर हमारे दरवाजे पर खड़ी दिखाई दी।
ग्वालियर जिले के ग्राम अडूपुरा निवासी श्रीमती ललिता जाटव के पति स्व. दिनेश जाटव मजदूरी करते थे। एक बार बीमार हुए तो फिर बिस्तर से उठ नहीं पाए। ललिता ने सरकारी मदद और अपनी सामर्थ्य से बढ़कर पति का खूब इलाज कराया। मगर वे उन्हें बचा नहीं सकीं। ललिता बताती हैं कि मेरे 10 साल व 8 साल के दो बेटे हैं। पति के असमय चले जाने से बच्चों के लालन-पालन का संकट मुँहबाए खड़ा था। कहीं से कोई आसरा नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना ने हमें स्नेहिल सहारा दिया और परिवार को फिर से खड़े होने में बड़ी मदद की है।
प्रदेश सरकार से समय-समय पर मिले सहारे को बताते-बताते ललिता भावुक हो जाती हैं। उनका कहना हैं कि सरकार की कल्याणी योजना के तहत हमें हर माह सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी मिलने लगी है। सरकार ने हमें खाद्यान्न पर्ची दी है, जिससे हर माह एक रूपए प्रतिकिलो राशन मिल जाता है, जिससे दो जून की रोटी जुटाने में हमें कोई दिक्कत नहीं होती। इतना ही नहीं राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गाँव में सरकार द्वारा बनवाए गए स्व-सहायता समूह से भी मैं जुड़ गई हूँ। एक बार जब मुझे जरूरी काम के लिये पैसों की जरूरत पड़ी तो अपने समूह से मुझे आसानी से ऋण मिल गया। बाद में हमने मेहनत-मजदूरी कर उस ऋण को चुका दिया।
ललिता बताती हैं कि उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह ने जब मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना के तहत मुझे 2 लाख रूपए की अनुग्रह सहायता राशि का स्वीकृति पत्र सौंपा तो ऐसा लगा कि प्रदेश सरकार एक बड़े-बुजुर्ग की तरह सहारा देने हमारे घर आई है। वे कहती हैं कि यह सहायता राशि हमारे बैंक खाते में आ गई है। इस धन को हम ऐसे ही खर्च नहीं करेंगे। इससे अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनायेंगे। ललिता प्रदेश सरकार को दुआएँ देते हुए नहीं थकतीं। वे कहती हैं सरकार ने एक बार नहीं हर जरूरत के समय हमारी मदद की है।