अस्पताल ग्रेटर कैलाश में शवों की अदला-बदली मामला- मानव अधिकार संघ ने संज्ञान में लिया

इंदौर।दो दिन पहले शनिवार को अस्पताल ग्रेटर कैलाश में शवों की अदला-बदली मामले को मानव अधिकार संघ ने संज्ञान में लिया है। सोमवार को संघ के अध्यक्ष टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और प्रबंधन से मामले को लेकर सवाल जवाब किया। उन्होंने पूछा कि आपने दूसरे परिवार को काेविड मरीज की बाॅडी सौंप दी। यदि वह परिवार संक्रमित हो जाता है तो उसकी जवाबदारी कौन लेगा।संघ ने आरोप लगाया कि प्रबंधन हम पर प्रशासनिक दबाव बना रहा है। वहीं, मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने दोषियों पर कार्रवाई करते हुए पूरा सिस्टम ही बदल दिया है।
आयोग बोला - हम पर प्रबंधन दबाव बना रहा है मानव अधिकार संघ के अध्यक्ष आशीष हिंदुजा का कहना था कि अभी तक अस्पताल प्रबंधन ने दोषियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की है। हमने इनसे कहा कि आपने काेविड-19 मरीज की बाॅडी दूसरे परिवार काे दे दी, ऐसे में जाे दूसरा परिवार संक्रमित हाेगा, उसकी जवाबदारी काैन लेगा। उनका कहना है कि इतनी बड़ी घटना हाे गई और अस्पताल प्रबंधन सोता रहा। 70 किमी दूर जाने के बाद इनकी नींद खुली। हम इनके पास जानकारी लेने पहुंचे तो इन्होंने एक उच्च अधिकारी का नाम लेकर कहा कि इनसे बात कर लो। ये हम पर प्रशासन द्वारा दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मामले में कमिश्नर कार्यालय जाकर कमिश्नर को एक ज्ञापन सौंपेंगे।अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर अनिल बंडी का कहना है कि इन्होंने हमसे पूछा था कि आखिर यह घटना कैसे हुई। यह घटना थर्ड औ फोर्थ कर्मचारियों से हुआ है। भविष्य में ऐसी लगती ना हाे इसलिए हमने एक सिस्टम बना लिया है कि अब डबल चेक हो, गवाह की साइन हो। मरीज और अस्पताल दोनों की ही ओर से पूरी तरह से पुख्ता हो जाए, इसके बाद ही आगे की कार्रवाई हो। हमने दोषियों पर कार्रवाई की है। किसी को निलंबित करने से काम नहीं होता है। अभी काेविड की स्थितियां इतनी खराब हैं। वे लाेग काफी समय से कोविड में काम कर रहे हैं। आखिर वे भी इनसान हैं। उनसे भूल हो गई है। उन्हें निलंबित करने से सब ठीक तो नहीं जो जाएगा ना। हां गलती हुई, लेकिन उसे जल्द ही सुधार भी लिया गया।


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