लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिक ललिता प्रसाद साकेत ने बनाया स्वयं का पक्का आवास "सफलता की कहानी

  रीवा | कोविड 19 के संक्रमण के कारण रीवा जिले के भी बड़ी संख्या में लोग अन्य राज्यों व जिलों में फंस गये थे जिन्हें वापस लाने के लिए शासन स्तर से प्रयास किये गये और यह प्रवासी श्रमिक अपने घरों को वापस आ सके। जिले के मऊगंज तहसील अंतर्गत रकरी ग्राम पंचायत के ललिता प्रसाद साकेत भी इन्हीं प्रवासी श्रमिकों में शामिल थे जो गुजरात में नौकरी कर रहे थे। लॉकडाउन लगने के कारण वहां काम बंद हो गया। वह किसी तरह वापस अपने गांव आ गये। ललिता प्रसाद साकेत का गांव में कच्चा आवास था। प्रधानमंत्री आवास के तहत पक्का माकान बनाने के लिए उन्हें राशि स्वीकृत हुई और लॉकडाउन के दौरान ललिता प्रसाद साकेत ने तीन महीने में अपना स्वयं का पक्का आवास बना लिया। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान की सहृदयता के कारण वह वापस अपने गांव आ सके तथा गांव के सरपंच के सहयोग से अब उनका स्वयं का पक्का आवास भी हो गया है। वह बताते हैं कि 1.30 लाख रूपये प्रधानमंत्री आवास के तहत स्वीकृत हुए साथ ही नरेगा के तहत 15 हजार रूपये मजदूरी के तौर पर राशि मंजूर हुई। अब ललिता प्रसाद साकेत अपने गांव में ही रहकर मजदूरी कर रहे हैं। गांव में चल रहे सड़क निर्माण कार्य में उन्हें काम मिल गया है। वह अपने घर गांव लौटकर खुश हैं तथा गरीबों की हितैषी केन्द्र एवं प्रदेश सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं।


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