इंदौर संभाग के सभी जिलों में किल कोरोना अभियान की लगभग सभी तैयारियाँ पूरी घर-घर जाकर सर्वे के लिये आँगनवाड़ी केन्द्र स्तर पर किया गया दलों का गठन, संभागायुक्त डॉ.पवन कुमार शर्मा ने जिलेवार की तैयारियों की समीक्षा

पूजा गिरी
इंदौर। कोविड-19 बीमारी के ट्रांसमिशन चेन को तोड़ने और आमजन को कोविड-19 बीमारी से बचाव हेतु और अधिकारी जागृत करने के लिये एक जुलाई से किल कोरोना अभियान प्रारंभ किया जा रहा है। इस अभियान  की इंदौर संभाग के सभी जिलों में लगभग सभी तैयारियाँ पूरी हो गयी हैं। घर-घर जाकर सर्वे के लिये दलों का गठन कर लिया गया है। दलों को सर्वे के लिये प्रशिक्षण भी दिया गया है। साथ ही मॉनिटरिंग, सुपरविजन आदि कार्यों के लिये भी बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारियों को जवाबदारी सौंपी गयी है। इन्हें भी विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण दिया गया है।
      संभागायुक्त डॉ.पवन कुमार शर्मा ने आज यहाँ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों से रूबरू होकर तैयारियाँ की जिलेवार समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने अभियान के संबंध में दल गठन, सर्वे की प्रक्रिया, सर्वे दलों के प्रशिक्षण, सेम्पल लेने, सेम्पलों की जाँच के लिये इंदौर भेजने की व्यवस्था, सर्वे प्रपत्रों को भरने तथा इसकी इन्ट्री सार्थक एप में दर्ज करने आदि की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिये कि राज्य शासन द्वारा दिये गये निर्देशों और मंशा के अनुरुप यह अभियान निर्धारित समय-सीमा में प्रभावी रूप से पूरा किया जाये। अभियान के तहत कोई भी व्यक्ति सर्वे से नहीं छूटे। सभी इंट्रियाँ त्वरित रुप से सार्थक एप में दर्ज हों। संदिग्ध मरीजों के सेम्पल प्रतिदिन दिन में दो बार इंदौर भेजे जायें। सेम्पलों को भेजने में किसी भी तरह की देरी नहीं करें। उन्होंने कहा कि डाटा इंट्री की शुद्धता पर ध्यान दिया जाये। डॉ.शर्मा ने कहा कि इस अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये इंदौर संभाग के जिलों में अनेक नवाचार किये जा रहे हैं। सभी कलेक्टर इन नवाचारों को आपस में साझा करें, अपने-अपने जिलों की आवश्यकता के अनुरूप इसे लागू भी करें। उन्होंने अभियान में जनप्रतिनिधियों, एनजीओ तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी लेने के निर्देश भी दिये।
      डॉ.शर्मा ने वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत लंबित प्रकरणों के निराकरण की भी जिलेवार समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सकारात्मक सोच के साथ कार्य करें। लंबित प्रकरणों का सहानुभूतिपूर्वक नियमानुसार  निराकरण करें। प्रत्येक प्रकरणों का सुक्ष्मता से परीक्षण करें और उन पर पुनर्विचार कर निराकरण किया जाये।


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