सरकारी भूमि पर कॉलोनी विकसित करने वाले एस.टी.एफ. की गिरफत में

कुमार यश



इन्दौर।गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड ग्राम हरसोला की  सरकारी भूमि पर कॉलोनी विकसित करने वाले एस.टी.एफ. की गिरफत में आये। ग्राम हरसौला में अवैद्य भूमि पर  शान्ति पैराडाईज बसाया गया है।एक एकड से भी कम भूमि को कूटरचना से 20 एकड बनायाा गया।लगभग 400 परिवारों को भूखण्ड बेेचे ।  
      डॉ. अशोक अवस्थी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एस.टी.एफ. मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा राज्य शासन की मंशानुसार माफिया गिरोह के विरूद्व प्रभावी कार्यवाही करने हेतु निर्देशित कर मध्यप्रदेश में गोल्डन फॉरेस्ट इण्डिया लिमिटेड और गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड की भूमि पर अवैद्य एवं कूटरचित दस्तावेजो से काबिज होने वाले भू-माफिया पर कठोर कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था।  
  पदम्लोचन शुक्ला पुलिस अधीक्षक एस.टी.एफ. इन्दौर द्वारा बताया गया कि एस.टी.एफ. इकाई इन्दौर द्वारा गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड जो कि गोल्डन फॉरेस्ट इण्डिया लिमिटेड की ही एक कम्पनी है की ग्राम हरसोला तहसील महूूं की लगभग 20 एकड से ज्यादा भूमि को कूटरचित दस्तावेजो से अपने नाम कर उसे करोडो रूपयें में बेचकर कॉलोनी विकसित करने वाले भू-माफिया गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफतार करने में महत्वपूर्ण कार्यवाही की गई है। 
  श्री शुक्ला ने बताया कि गोल्डन फॉरेस्ट इण्डिया लिमिटेड और उसकी सबसीडरी कम्पनी गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड द्वारा इन्दौर जिले में ग्राम पान्दा हरसोला नेउगुराडिया बोरखेडी दतोदा पिगडम्बर राउ नावदा में कई हेक्टेयर भूमि का क्रय किया गया था। वर्ष 2000 के बाद से ही भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड द्वारा की गई कार्यवाही उपरांत उक्त कम्पनी के कार्य पर रोक लगाई जाकर भूमि के क्रय विक्रय हस्तांतरण और अतिक्रमण पर निचली अदालतो ने आदेश जारी किये गये थे जिस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2004 में पूर्णतः रोक लगा दी गई थी। 
  इसी परिप्रेक्ष्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली के आदेशानुसार एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश महोदय की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था जिसके द्वारा गोल्डन गु्रप ऑफ कम्पनीज की इन्दौर जिले की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण एवं कूटरचित दस्तावेजो के आधार पर भूमि के हस्तांतरण की सूचना एस.टी.एफ. इकाई को दी गई थी। उल्लेखनीय है कि एस.टी.एफ. इकाई इन्दोैर में गोल्डन फॉरेस्ट की भूमि के अवैद्य क्रय विक्रय के आधार पर तीन प्रकरण पंजीबद्व किये जाकर महूं के मांगीलाल ठाकुर एवं उसके भाईयो तथा जयसिंह एवं उसके साथियों को गिरफतार किया जा चुका है। 
  इसी दिशा में एस.टी.एफ. इकाई इन्दौर को एक शिकायत प्राप्त र्हुइं कि ग्राम हरसोला तहसील महूं की भूमि को कूटरचित दस्तावेज के आधार पर 0.290 हेक्टेयर से बढाकर 8.290 हेक्टयेर भूमि कम्पनी के निवेशक को एक संगठित गिरोह के लोगो द्वारा आवंटित कराई गई है एवं उस पर दबाव बनाकर पुनः भूमि को की करोडो रूपयें में बेचाकर अवैद्य लाभ अर्जित कर शासन को हानि पहुंचाई गई है। 
  प्राप्त शिकायत की जांच में पाये गये तथ्यों के आधार पर थाना एस.टी.एफ. भोपाल में इस गिरोह के विरूद्व धारा 420 467 468 471 120-बी भादवि का अपराध पंजीबद्व कर विवेचना की जा रही थी। विवेचना के दौरान एस.टी.एफ. इकाई की टीम द्वारा सचिन्द सोनी उर्फ सचिन सोनी पिता रामकिशोर सोनी उम्र 44 साल निवासी 5 परस्पर कॉलोनी चूना भटटी रोड भोपाल दमयंती बाई शिवदे पति श्यामलाल शिवदे उम्र 54 साल निवासी म.न. 185 ग्राम दामपुरा हरसोला तहसील महूं जिला इन्दौर एवं शैलेन्द्र अग्रवाल पिता स्व. राधारमण अग्रवाल उम्र 58 साल निवासी 3/1 साउथ तुकोगंज इन्दौर को हिरासत में लिया जाकर उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण कार्यवाही की गई है। 
  विवेचना में आए तथ्यो में पाया गया कि सचिन्द सोनी का मूल नाम सचिन सोनी है जिसके ससुर विश्वनाथ सोनी द्वारा गोल्डन ॅफॉरेस्ट और गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड में वर्ष 1996-97 एवं इसके पूर्व निवेश किया गया था। निवेशित राशि की परिपक्वता वर्ष 2001-2002 एवं उसके बाद होना थी जिसके लिए कम्पनी द्वारा पूर्व से ही पोस्ट डेटेड चेक्स जारी किये गये थे। चूंकि सेबी द्वारा वर्ष 2000 के पश्चात ही कम्पनी के कार्य पर रोक लगाई जा चुकी थी इसलिए यह परिपक्वता के चेक्स का भुगतान विश्वनाथ सोनी को नहीं हो पाया था । जिसके लिए विश्वनाथ सोनी ने रवि चौहान नामक निवासी ग्वालियर नामक व्यक्ति से सम्पर्क किया गया जिसने वर्ष 2003 में चण्डीगढ जाकर विश्वनाथ सोनी के दामाद सचिन सोनी के नाम से एक गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड कम्पनी की बोर्ड मीटिंग दिनांक 5.12.2000 का तैयार किया बोर्ड रिज्योलूशन लाकर दिया जिसमें सचिन सोनी को 8.290 हेक्टयेर भूमि का आवंटन होना लेख किया गया था। हसी आधार पर सचिन सोनी जिन्होने इस कम्पनी में एक भी रूपयें का निवेश नहीं किया गया है के द्वारा स्वयं को ग्राम हरसोला की उक्त भूमि का स्वामी बताते हुए एवं गोल्डन प्रोजेक्ट लिमिटेड का प्रतिनिधि बताते हुए दिनांक 29.3.2003 को स्वयं की पत्नी विनिता सोनी पति सचिन सोनी के नाम से रूपयें 26,94,500-00 में विक्रय की रजिस्ट्री सम्पादित की गई। इस रजिस्ट्री के सम्पादन में उस संगठित गिरोह के सदस्यों की अहम भूमिका रहीं है जिनके द्वारा तहसील महूं के इस अवैद्य कारोबार से जुडे लोगो के माध्यम से रजिस्ट्री कराई गई। 
  इस संगठित गिरोह के लोगो द्वारा विनिता सोनी एवं सचिन सोनी से एक अनुबंध निष्पादित कर दिनांक 9.3.2006 को दमयंतीबाई पति श्यामलाल शिवदे निवासी ग्राम हरसोला को रूपयें 15,72,807-00 में उक्त भूमि का विक्रय करा दिया गया और प्राप्त धनराशि को बाहुबल से झपट लिया गया। 
  इस संगठित गिरोह के लोगो द्वारा दमयंती बाई शिवदे और उसके परिजनों को डराया धमकाया जाकर मात्र कुछ रूपयें ज्यादा का प्रलोभन देते हुए जमीन क्रय करने की कोशिश भी की गई जिसको नहीं मानने पर उसके पुत्रों को जान से मारने की धमकी भी दी जाना प्रकाश मे आया है। दमयंती बाई और उसके परिजनों द्वारा इस धमकी को नजरअंदाज किया गया ओैर भूमि का विक्रय नहीं किया गया तो इस गिरोह के द्वारा एक अन्य प्रापर्टी ब्रोकर के साथ एक एग्रीमेन्ट कराया और बाद में दिनांक 8.8.2011 को दमयंती बाई एवं अन्य के द्वारा एस.जी.पी. इन्फ्राकॉन इण्डिया प्रा.लि. को यह भूमि 2,10,00,000-00 में विक्रय कराई गई और लगभग 1 करोड रूपयें टेरर टेक्स के नाम से ले लिये गये। 
  एस.जी.पी. इन्फ्राकॉन के डेसिगनेटेड पार्टनर तर्फे डायरेक्टर अमित अग्रवाल और शैलेन्द्र अग्रवाल की ओर से अमित अग्रवाल ने उक्त भूमि का क्रय किया और शासन की लगभग 20 एकड से ज्यादा भूमि पर अपने प्रभुत्व के आधार पर कई विभागों से अनुमतियां प्राप्त कर शान्ति पेैराडाईज नामक कॉलोनी विकसित कर दी गई। 
  इस आधार पर एस.जी.पी. इन्फ्राकॉन के डेसिगनेटेड पार्टनर शैलेन्द्र अग्रवाल पिता स्व. राधारमण अग्रवाल निवासी 3/1 साउथ तुकोगंज इन्दौर को गिरफतार किया गया है। अमित अग्रवाल फरार है।  प्रकरण की विवेचना में इन्दौर जिले के कुछ लोगो की भूमिका प्रकाश मे आई है जिन पर कार्यवाही की जावेगी।
  इस प्रकार एस.टी.एफ. इन्दौर द्वारा राज्य शासन की मंशानुसार शासकीय भूमि को कूटरचित दस्तावेज के आधार पर स्वयं के स्वामित्व की दर्शाने और कॉलोनी विकसित कर करोडो रूपयें का अवैद्य लाभ अर्जित करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। 
  प्रकरण का पर्दाफाश करने एवं आरोपियों की गिरफतारी में एस.टी.एफ. इकाई इन्दौर के उप निरीक्षक श्याम किशोर त्रिपाठी सहायक उप निरीक्षक अमित दीक्षित आरक्षक विवेक द्विवेदी आशीष मिश्रा विराट यादव और भीषमपाल सिंह की उल्लेखनीय भूमिका रही है।


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