पैसा जमा करने गए ग्राहक को मैनेजर ने कहा इसे धक्के मार कर निकालो
पूजा जयेश
*आईसीआईसीआई बैंक मैं पैसा जमा कराने गए ग्राहक को ब्रांच मैनेजर ने कहा "गार्ड इसे धक्के मार कर निकाल दो"*
*10 रु के नोट लेने से मना करने का कारण ग्राहक ने क्या पूछ लिया कि ब्रांच मैनेजर मयंक और बैंक का स्टाफ ग्राहक से करने लगा विवाद*
इंदौर।घटना देश के एक बड़े ब्रांच बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक के महालक्ष्मीनगर ब्रांच, इंदौर की है। दिनांक 23 अक्टूबर को 11 बजे के लगभग, संजय सिंह, जो कि आईसीआईसीआई बैंक महालक्ष्मीनगर ब्रांच के ग्राहक हैं, उनके इस बैंक में 6 से अधिक खाते हैं और वह पिछले 15 वर्षों से इस बैंक के खाताधारक हैं, उन्होंने बताया कि वह अपनी कंपनी के करंट अकाउंट में लगभग ₹70000 कैश जमा कराने पहुंचे थे, जिसमें 10रु के नोट कुल 4000 मूल्य के थे और बाकी सभी बड़े डिनॉमिनेशन 50, 100, 200 एवं 500 के थे। पहुंचने के बाद कैशियर ने आधे घंटे उनको खड़ा रखा। अपना काम छोड़कर सीट से केशियर 2 बार उठकर नदारद हो गया। उसके बाद ब्रांच मैनेजर मयंक ग्राहक के पास आया और उसको बोला कि आपका कैश जमा नहीं हो पाएगा। ग्राहक ने पूछा कि इसका क्या कारण है तो ब्रांच मैनेजर ने जवाब दिया कि आपके छोटे नोट अर्थात 10रु और 50 रु है अतः हम यह पैसा जमा नहीं कर पाएंगे। ब्रांच मैनेजर के मना करने पर ग्राहक ने कहा पूछा कोई नियम अगर आरबीआई ने पारित किया है तो कृपया उसको दिखा देवें या उसकी स्पष्ट जानकारी देवें। इतना सुनने पर ब्रांच मैनेजर बैंक के ग्राहक को स्पष्टीकरण देने के वजाय उससे विवाद पर उतारू हो गया और थोड़ी देर में भड़क गया और बैंक के गार्ड को ग्राहक की ओर इशारा करते हुए बोला कि इसको धक्के मारकर ब्रांच से बाहर निकाल दो। गॉर्ड द्वारा बल प्रयोग की चेष्ठा करते देख ग्राहक वहाँ मौजूद बैंक स्टाफ से कहा कि यह कोई चोर या डकैत नहीं है जो उसे वहां से ऐसे निकाल दिया जाएगा, वह मात्र अपने सवाल का जवाब मांग रहा हूं कि क्यों पैसा जमा नहीं करेंगे, आप उत्तर देने में असमर्थ हैं और इस तरह का दुर्व्यवहार भी कर रहे हैं। ग्राहक ने बैंक स्टाफ और गॉर्ड द्वारा बल प्रयोग की संभावना देखते हुए 100 डायल पर फोन लगाकर पुलिस कंट्रोल रूम में बैंक कर्मचारियों द्वारा बल प्रयोग की संभावना की कंप्लेंट भी कर दी।
समय पाकर ग्राहक बैंक के आईसीआईसीआई बैंक के जोनल हेड कोमल पारीख को फोन लगाकर इस विषय एवं घटना की जानकारी दी। कोमल ने भी सही तरह से बात ना करते हुए कहा कि 50 रु और उससे छोटे डिनॉमिनेशन हम नहीं ले पाएंगे चाहे आप आरबीआई जाओ, पुलिस बुलाओ या चीफ मिनिस्टर को फोन लगाओ।
पुलिस के आने तक गार्ड, अकाउंटेंट सत्यम, ब्रांच मैनेजर मयंक और एक अन्य कर्मचारी ने ग्राहक से खूब बदतमीजी की एवं सब मिलकर ग्राहक को धकेलने की कोशिश करते रहे।
इतने में पुलिस आई, पुलिस के हस्तक्षेप पर ब्रांच मैनेजर अपने केबिन से बाहर आया और लगभग डेढ़ घंटे घटनाक्रम चलने के बाद केशियर को निर्देश दिया कि 80:20 प्रिंसिपल के तहत पैसा जमा कर ले।
ग्राहक ने बोला यह प्रिंसिपल का पालन आप डेढ़ घंटे पहले भी कर सकते थे क्योंकि मेरा रु 70000 के राशि में मात्र ₹4000 के नोट छोटे यानि 10रु के हैं, बाकी सभी नोट 50, 100, 200 एवं 500 के हैं। परंतु ब्रांच मैनेजर पुलिस के सामने भी ऊंट पटांग बातें करता रहा और ग्राहक को धमकी दे दी कि तेरा एकाउंट बन्द करवा दूंगा। ग्राहक को इसका एक मतलब जान से मारने की धमकी देना भी प्रतीत हो रहा है, क्योंकि बैंक मैनेजर ने कहा है कि तेरा एकाउंटबंद कर दूंगा और वह इसकी शिकायत पुलिस में भी करने के लिए सोच रहा है।
ज्ञातव्य है कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नोटबंदी की घोषणा की थी, तब इन्हीं बैंक वालों ने ग्राहकों को सिर्फ छोटे-छोटे नोट निकाशी की अनुमति दी थी और बड़े नोट देने के लिए साफ मना कर दिया था। उस समय जाने कितने लोगों के व्यापार प्रभावित हुए, कितनी शादियों के कार्यक्रम स्थगित हुए, ग्राहकों ने अपने खाते में पर्याप्त राशि होने के बाबजूद आर्थिक तकलीफें झेलीं....परन्तु सहज रूप से बैंकों के साथ सहयोगिता और सहभागिता दिखाई परंतु आज यही बैंक अपने ग्राहकों से बिना किसी कारण अथवा उन्हें बिना उचित जानकारी दिए अपने मन माने नियम बना लेते हैं और सबसे दुखद बात यह है कि इन बड़े बैंकों के कर्मचारी ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार भी करते हैं।
आज एक ओर जहां इतने प्रतिस्पर्धा वाले दौर में माना जाता है कि बैंकिंग जैसे सर्विस सेक्टर में ग्राहक की संतुष्टि और ग्राहक की सेवा ही सर्वोपरि होना चाहिए क्योंकि आज ग्राहक ही राजा है, वहीं इन आईसीआईसीआई बैंक के कर्मचारियों ने अपनी सफलता के गुरुर में चकनाचूर होकर अपने ग्राहक को संतुष्ट करना तो दूर, उसकी सेवा करना तो दूर उसको ब्रांच से धक्के मारने के लिए अपने गार्ड को निर्देश तक दे दिए। यदि सिर्फ ब्रांच का एक कर्मचारी इस तरह का व्यवहार करता तो लगता कि यह एक व्यक्ति विशेष की परवरिश अथवा संस्कारों में कमी का परिणाम है परंतु इस बैंक के तो जोनल हेड जेसे पद पर बैठे कोमल पारीख जैसे आला अफसर भी इतने गुरुर और उद्दंडता से बात करते हैं कि लगता है शायद बैंक के बोर्ड मेंबर्स या तो इस नए माहौल से बेफिक्र हैं या फिर उनकी भी सहमति इस तरह के ग्राहक सेवा के लिए अपने कर्मचारियों को बढ़ावा दे रही है।
क्या आईसीआईसीआई बैंक के कर्मचारियों का अपने ग्राहक से इस तरह की भाषा और अभद्रता का प्रयोग करना उचित है।
ग्राहक ने इस पूरी घटना के कुछ वीडियोस बना लिए हैं जिसमें ब्रांच मैनेजर मयंक साफ-साफ पैसे लेने से मना करते हुए, धमकी देते हुए और गार्ड से ग्राहक को बाहर धक्का मारकर निकालने का कहता नजर आ रहा है और पुलिस की धमकी भी दे रहा है। जोनल हेड कोमल का भी स्टेटमेंट कि मंत्री को बुलाओ पुलिस को बुलाओ या किसी को भी बुलाओ हम आपका कैश नहीं लेंगे यह भी मोबाइल की काल रिकॉर्डिंग में साफ साफ सुना जा सकता है।