झाबुआ उपचुनाव ने बढ़ाई दिग्विजय की ताकत

पूजा जयेश


झाबुआ। झाबुआ उपचुनाव के नतीजों से एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ताकतवर बनकर उभरे हैं। टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रबंधन और नतीजों तक सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को भरोसे में लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मात दी है।
झाबुआ उपचुनाव में प्रारंभिक दौर में माना जा रहा था कि इस बार कांग्रेस कांतिलाल भूरिया या डॉ. विक्रांत भूरिया पर दांव नहीं लगायेगी बल्कि जेवियर मेड़ा को आसानी से टिकट मिल जायेगा, लेकिन एन वक्त पर 'जयस' को साथ लेकर दिग्विजयसिंह ने भूरिया का पलड़ा भारी करवा दिया।


चुनाव प्रबंधन में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने आठ मंत्रियों को सेक्टर के मान से झाबुआ में पदस्थ किया जबकि तीन मंत्री सम्पूर्ण क्षेत्र में संलग्न रहे। मेड़ा को शीघ्र ही निगम-मंडल में चेयरमैन के पद पर ताजपोशी का वादा भी असर कर गया। मेड़ा ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और कांग्रेस की परंपरागत सीट फिर से कांग्रेस की झोली में आ गई। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह का कहना है- 'जब-जब कांग्रेस का कोई बागी प्रत्याशी झाबुआ सीट से खड़ा हुआ है तभी बीजेपी यहां जीत पाई है।'
बीजेपी विधायक जी एस डामोर के इस्तीफे से यह सीट खाली हुई थी।


*मंत्री या अध्यक्ष*
राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि भूरिया की बंपर जीत के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया जायेगा क्योंकि भूरिया सभी मंत्रियों में वरिष्ठ है। एक चर्चा यह भी है कि दिग्विजयसिंह खेमा उन्हें कमलनाथ के स्थान पर म.प्र. कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाने के लिए 'पत्ते' खेले।  इस वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया को भावी अध्यक्ष माना जा रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बावजूद सिंधिया एक बार भी प्रचार के लिए झाबुआ नहीं आए।


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